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Amit Kumar

Inspirational

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Amit Kumar

Inspirational

भाग चलते है...

भाग चलते है...

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आओ भाग चलते है

इस शोर गुल से कहीं दूर

दूर बहुत दूर कहीं वीराने में

या उन पहाड़ों पर जहाँ

क्रंदन होता है शांत मधुर संगीत का

जहाँ वादियाँ अभिवादन करती है

गिरते हुए बहते हुए झरनों का

दिल खोलकर रख देती है

जहाँ शिला चट्टानें अपने अधीर

मन का


वहीं यह बहाव अपना आलिंगन

प्राप्त करता है

वो जो ग्रस्त हो चुके है समाज की

विकृत मानसिकता

और मानवीय जीवन मूल्यों से

वो जो कहो चुके है आत्मसंबल

अपने धैर्य का

उन्हें ही तो बुलाते है पुकारते है

यह नदी नाले पेड़ झरने वादियाँ

कि लौट आओ हमारे पास और

समर्पित कर दो

स्वयं को निस्वार्थ भाव से हमें

हम तुम्हें समेट लेंगे अपने में

और हर लेंगे तुम्हारा हर कष्ट

हर पीड़ा...



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