बेवफ़ा
बेवफ़ा
2122 1212 2122 1212
प्यार में मगर हम तो ऐ सनम बेवफ़ा नहीं
यूं वफ़ा में किसी से करते कभी हम दग़ा नहीं
में कभी लौट कर आऊंगा नहीं फिर तुझे मिलने
तू कभी भी मगर करना ऐ सनम यूं गिला नहीं
आशना तू सदा बनकर रह मेरा ही यहाँ मगर
दिल मगर तू किसी से भी और कर आशना नहीं
सिर्फ़ रखना हमेशा दिल में मुझे तू बसाकर के
और दिल में किसी को अपनें कभी भी बसा नहीं
फुट जायेगा तरन्नुम दिल से वफ़ा के तन्हाई से
तू सनम यूं मगर होना कभी भी ख़फ़ा नहीं
लौट आया उसी के घर से खाली हाथ मैं देखो
फूल उसनें मुहब्बत का आज भी तो दिया नहीं
बस गया है वही जाकर देख परदेश में ऐसा
यार आज़म कभी ख़त उसनें मुझे फ़िर लिखा नहीं।
