STORYMIRROR

Rajit ram Ranjan

Romance

2  

Rajit ram Ranjan

Romance

बेवजह मैंने बेपनाह चाहा था

बेवजह मैंने बेपनाह चाहा था

1 min
387


अपने दिल के दर्द को हम 

छुपाये बैठे हैं, 

वो हमें अपना कहते थे, 

कल देखा वो किसी और से

दिल लगाए बैठे हैं !


बेवजह मैंने 

बेपनाह चाहा था उसे, 

उसकी ख़ुशी के लिये,

अपनी ख़ुशी का गला

दबाया था मैंने, 

वे मुझे अपना महबूब 

कहते थे, 

बेशरम, बेहया, हरजाई 

कल देखा वो किसी और से

दिल लगाए बैठे हैं !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance