बेवजह मैंने बेपनाह चाहा था
बेवजह मैंने बेपनाह चाहा था


अपने दिल के दर्द को हम
छुपाये बैठे हैं,
वो हमें अपना कहते थे,
कल देखा वो किसी और से
दिल लगाए बैठे हैं !
बेवजह मैंने
बेपनाह चाहा था उसे,
उसकी ख़ुशी के लिये,
अपनी ख़ुशी का गला
दबाया था मैंने,
वे मुझे अपना महबूब
कहते थे,
बेशरम, बेहया, हरजाई
कल देखा वो किसी और से
दिल लगाए बैठे हैं !