बेटियाँ
बेटियाँ


घर की चारदीवारी में बन्द कर दो बेटियों को
कुछ खूंखार जानवर घूम रहे हैं इस शहर में
सोशल मीडिया पर जस्टिस-जस्टिस चिल्ला रहे हैं लोग
इस तरह से बलात्कारियों को सजा दे रहें हैं लोग।
उनसे पूछो जिनकी बेटियों की आबरू लूट ली जाती है
कैसे खून का घुट पीकर जिन्दा रहते&n
bsp;हैं वे लोग
समाज की सोच बदलना भी सरकार की जिम्मेवारी है
आज हुकूमतों से सवाल करने में भी डर रहें हैं लोग।
हिन्दू की बेटी हो या मुस्लमान की बेटी हो
अपने वतन की बेटियों की ही आबरुयें लूट रहे हैं लोग
जस्टिस देने वाला आँख पर पट्टी बाँधे खड़ा है
आज चुप रहे तो कल तुम्हारे घरों में भी घुसेंगे वे लोग।