बेटियां
बेटियां


कुछ प्रश्न उठे हैं मेरे मन में,
आखिर क्यों बेटी है मरती ,
और बेटों पर दुनिया मरती,
क्यूँ सोच यही दुनिया की है,
दुनिया को लगता बेटी है अभिशाप,
तभी ये दुनिया करती है पाप।।
सोच यही मैं हूँ परेशान,
आखिर क्यों बेटी का अपमान ,
जब की वो सृष्टि की शान,
उनसे ही हम सब में जान।।
तब क्यों बेटी रहे परेशान,
दुनिया को अब ये, समझना होगा
बेटी के खातिर लड़ना होगा,
धरती को हम माँ कहते हैं,
बेटी को बहना कहते हैं,
अब भइया ,बहनों को बचाओ।।
बेटी बचाओ भाई ,बेटी पढ़ाओ