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minni mishra

Tragedy

4.5  

minni mishra

Tragedy

बेटी

बेटी

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बेटी से बसती है दुनिया

बेटी से सजता संसार

बिन बेटी घर सूना लगता !

हर त्यौहार अधूरा लगता !

उसकी कोमलता को समझो

सतरंगी- सा पंख लगाओ

उसने अपना बसेरा छोड़ा !

प्रियतम से जा के नाता जोड़ा

अपनी पीड़ा खुद से छिपाती !

अरमानों की भेंट चढ़ाती !

फिर भी क्यों , बेचारी कहलाती !

जब भी मैं इन प्रश्नों को सुलझाती

बेचारी बन, खुद डर जाती !!



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