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Nirdosh Jain

Fantasy

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Nirdosh Jain

Fantasy

बेटी

बेटी

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कहते है लोग बेटी है पराई,

ये बात हमारी समझ में,

आज तक नहीं आई,

बेटी तो माँ बाप कि है परछाई,


माँ बाप के रग-रग में समाई,

 फिर मैं कैसे मान लूं,, बेटी है पराई।

आधुनिक युग ने,- माँ बेटी कि दूरी है घटाई 


हर चार घंटे बाद, बेटी कि काल आई 

केसी हो मम्मी, कैसे है पापा कैसा है मेरा भाई

क्या पापा ने दवाई। खाई 

फिर मैं कैसे मान लूं, बेटी है पराई।


फिर चार घंटे बाद,बेटी कि काल आई, 

कैसी हो मम्मी,कैसे है पापा केसी है मेरी ताई 

क्या काम वाली बाई घर आई 

फिर मैं कैसे मान लूं बेटी है पराई।


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