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Kamal Purohit

Tragedy

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Kamal Purohit

Tragedy

बेटी की रक्षा

बेटी की रक्षा

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आज शर्म से डूब रही है, हमारे देश की जनता

लेकिन नेताओ को अब तो, नहीं फर्क कुछ पड़ता।


खाकर देखो कसम रक्षा की तोड़ दिया हर इक ताला

आज अयोध्या को लोगो ने, लंका समझ जला डाला।


बेटी है अभिमान हमारा, नारा तो लगाया गया

लेकिन गली गली चौराहे, बेटी को मिटाया गया।


कब तक देश में निर्भया की, खबर दिखाई जाएगी

लाज बचाने बेटी की कब, कृष्ण की साड़ी आएगी।


मुझे न बेटों से कुछ कहना, बेटी से मैं कहता हूँ

तेरी बर्बादी को सुनकर, चुप कर आहें भरता हूँ।


खुद को लौह समान बनालो, तोड़े जो हर पत्थर को

जो तुमको छूना भी चाहे, दोज़ख में उसको पहुँचा दो।


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