बेटी हूँ इसलिए
बेटी हूँ इसलिए
मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं है
मुझे जायदाद में हिस्सा नहीं मिलता
मां-बाप ने जन्म दिया है तो क्या हुआ
दूर जाने के बाद फिर किस्सा नहीं मिलता
मेरी सोच को जन्म से आजाद किया है पर
मुझे अपनी आजादी का हक नहीं मिलता
सही और गलत का फर्क तो बताया है पर
गलत पे आवाज उठाने का हक नहीं मिलता
लोगों के हिसाब से मुझे चलना है लेकिन
मुझे अपने हिसाब का कोई तर्क नहीं मिलता
मैं बात का तर्क करूँ तो लड़की बिगड़ गयीं हैं
और फिर इन बात का कोई हल नहीं मिलता
आखिर बेटी बनकर कोई गुनाह किया हैं क्या
जो बेटों के जैसे तय करने को सफर नहीं मिलता
मायके और ससुराल को संभालने में यहाँ
अपना खुद का कोई घर नहीं मिलता।