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Khushbu Fadke

Romance

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Khushbu Fadke

Romance

बेदर्द इश्क़ की दास्ताँ

बेदर्द इश्क़ की दास्ताँ

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जुबान पर एक अल्फ़ाज़ नहीं 

लेकिन निगाहें तो कुछ 

बयां करती होगी 

क्यों तड़प रही हूँ रातों में मैं

क्या तुम्हें भी मेरी याद सताती होगी 

क्यों ना आज तुम्हें मनाने के अलावा

कुछ और काम भी कर लूँ 

क्यों ना तुमसे लौट आने की भीख मांगने के 

अलावा खुदा से अपने लिए 

कुछ मांग लूँ 

खो दिया है किसी अपने को आज 

मैंने नहीं उन्होंने 

उन्हें अपना कहूं तो कहूं कैसे 

मेरे होने से पहले वह अपने आप के हो गए 

आज खुशियाँ हमारी होती 

लेकिन अपनी खुशियों के लिए 

वह खुदगर्ज हो गये 

क्या तारीफ़ करूँ उनकी 

दर्द की दवा बनने चली थी 

लेकिन बहुत खूब निकले वह 

हर दवा में भी दर्द ढूंढ ही लिया उन्होंने 

अगर मोहब्बत आपसे करना गुनाह है 

तो यह गुनाह कबूल है हमें 

क्योंकि ज़िन्दगी भर आपके साथ रहना 

हमने ही तो चुना है ...


   


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