Blogger Akanksha Saxena

Tragedy

3  

Blogger Akanksha Saxena

Tragedy

बेबसी

बेबसी

1 min
324



ये कैसी बरसात है दोस्त 

ना पानी है ना ओले है 

बरस रही ये आग सभी पर 

ये कैसे छलों के अंधेरे हैं


ये कैसे अधिकार हैं दोस्त 

जनता मरे तो चुप्पी सधे 

शहादत हो तो सवाल नहीं

जब नेता मरे तो शोक मने


ये कैसी आंधी है दोस्त 

न पत्ते उड़े न धूल उड़े 

ज़िस्मों से चुस रहा 

लहू सभी का,

ये कैसे पिशाच लुटेरे हैं


यह कैसी अंधी दौड़ है दोस्त

ना आवाज़ आये ना शोर मचे

चुपचाप धन स्विस बैंक पहुंचे

प्रजा यहां बिन मौत मरे


ये कैसी बिजली चमकी दोस्त 

न कड़कना न गिरना जाने 

इस हरकत से मन, 

त्रस्त सभी का 

ये कैसे कुर्सी को घेरे हैं...



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy