बदनसीब कूड़े का ढेर
बदनसीब कूड़े का ढेर
गंदगी की मार झेल रहा हूँ
दुनिया के सारे पाप का बोझ ढो रहा हूँ
मै कचरे का ढेर हूँ।
मुझे देख कर सब मुँह फुला रहे हैं
गलती अपनी को भुला रहे हैं।
मै रोता हूँ अपनी किस्मत पर
काश ! मै भी स्वच्छ साँस लेता
मेरा अपना ही दम घुट रहा है।
साथी मेरे ये आवारा पशु व कुते मुझे नोच रहे हैं
कुछ खाने पीने का सामान मुझ में ढूंढ रहे हैं
काश! मै उन्हें समझा पाता।
मै अभागा किस काम आता
जो भी आता मुझे कुछ दे जाता
अपना फालतू सामान फैंक जाता।
अनाथ बच्चे मुझे अपने थेलो में भर रहे है
अपने पेट की जरूरतों को पूरा कर रहे है।
पहाड़ो से भी अधिक ऊँचा हूँ मैं
फिर भी कभी नहीं झुका हूँ मैं।