माँ जादू की पुड़िया
माँ जादू की पुड़िया
मेरी माँ जादु की पुडिया
मैं हूँ उसकी प्यारी गुड़िया
चाँद से भी शीतल हैं
उसके आंचल की छाया
छुप जाऊ तेरे आँचल के चीर में
जैसे छुपा है मोती सागर के नीर में
माँ के हाथों का स्वाद ऐसा भाया
मुझे दूसरा और कुछ नहीं लुभाया
पर्वत सी स्थिर मेरी माँ
शांत गंभीर मेरी माँ
बिन बोले ही सब समझ लेती है, माँ
मेरे मन के दर्द को पढ़ लेती है,माँ
मार्गदर्शक बन सब कुछ सिखाती है माँ
कठिन राहें आसान बनाती है माँ
माँ के चरणों में मेरी दुनिया
माँ मेरी जादु की पुडिया
मैं हूँ उसकी प्यारी गुड़िया।