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Vimla Jain

Tragedy Action Classics

4.7  

Vimla Jain

Tragedy Action Classics

बदलता मौसम और क्षमापना की प्रार्थना

बदलता मौसम और क्षमापना की प्रार्थना

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 बदलता मौसम और क्षमापना की प्रार्थना

शहरों में बाढ़ का सैलाब, गाँवों में सूखा प्रहार,
कभी तपिश, कभी तूफ़ान – यही है कुदरत का पुकार।

इंसान की लालसा ने बिगाड़ा संतुलन,
आज उसी के कर्म बने उसके जीवन का दर्पण।

हे प्रभु!
आज क्षमापना दिवस पर हम हाथ जोड़कर निवेदन करें,
हमारे अपराध, हमारी भूलों को आप क्षमा करें।

बरसात उतनी हो जितनी खेतों को हरियाली दे,
गर्मी उतनी हो जितनी जीवन में ऊष्मा भर दे,
सर्दी उतनी हो जितनी तन-मन को ताजगी दे।

बस यही दुआ है –
कुदरत का कहर थम जाए,
धरती पर फिर से संतुलन और शांति लौट आए।

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