बड़ी नाज़ुक है
बड़ी नाज़ुक है


बड़ी नाज़ुक है ये होंठ
ज़रा सम्भल के रहना
टपक पड़ेंगे लहू भी
दाँतों तले ना दबाना।।
बड़ी नाज़ुक हैं ये होंठ
ये नज़ाकत है जवानी की
अदा ए इज़हार का
फ़िदा है सौ हज़ार दिल भी
वादा है इकरार का
ज़ुदा ना हो जज़बातें ,
ज़ालिम आदत ये पुराना।।
बड़ी नाज़ुक है ये होंठ
तेरा बहाना भी जानता हूँ
निशाना भी जानता हूँ
तराना मुहब्बत का
खामोश स्वर सुनता हूँ
जताना चाहते हैं होंठ तो
क्यों ये सितम कातिलाना।।
बड़ी नाज़ुक है ये होंठ
इन उल्फतों को कह दो
ना बहके इस कदर कहीं
शरारत करने को जी चाहे
हरारत भर जाए कहीं
हया हलाली हुस्न की
होश उड़ा ले कहीं ना।।
बड़ी नाज़ुक हैं ये होंठ
तुम नूर हो कायनात का
हसीन हुर जन्नत का
सिमटती इंतज़ा तुझ पे
हज़ार ख़्वाब ख्वाहिशों का
घटा हिज़ाब का हटा दो
मिटा दूरियाँ दरमियाँ।।
बड़ी नाज़ुक है ये होंठ..