बचपन
बचपन
दुनिया की हर फिक्र से दूर
मस्तमौला जिंदगी के करीब
रहता है जो,वो बचपन है।
कहीं खेल तमाशा, कहीं दौड़म दौड़,
कहीं खूब मस्ती, कहीं मीठी सी नींद
मां के आंचल में सर रखकर सोना वो बचपन है।
आपस में दोस्तों से सुबह खूब झगड़ना
शाम को सब भूलकर,फिर साथ खेलना वो बचपन है।
