दादी माँ
दादी माँ
दादी प्यारा सा एहसास
कभी हंसाती तो कभी
कहानियाँ हमें सुनाती
मन में मीठे भाव जगाती
दूध दही से बने पकवान
बना बनाकर खिलाती
जब मम्मी गुस्से में रहती
उनसे हमें बचाती
मेरी दादी प्यारी सी
मन में मीठे भाव जगाती।
हम बच्चों की टोली
दादी के इर्द-गिर्द शोर मचाते
प्यार से भर लेती बाहों में
नहीं कभी डांट लगाती
माखन मिश्री हमें खिलाती
पूजा के लिए सबसे पहले
हमें बुलाती
मेरी दादी प्यारी सी
मन में मीठे भाव जगाती।
संस्कारों की पोटली
जीवन के सभी अनुभव
हम संग बांटती
जीवन जीना हमें सिखाती
थके हुए जब आते घर
सबसे पहले सर सहलाती
बिन बोले सब समझ जाती
मेरी दादी प्यारी सी
मन में मीठे भाव जगाती।
घर की वो रोनक है
चाल थोड़ी है डगमगाती
फिर भी हम बच्चों के लिए
दौड़ी चली आती
अपने बचपन की हमें
ढेर सारे किस्से सुनाती
हमारी खुशी में खुश हो जाती
मेरी दादी प्यारी सी
मन में मीठे भाव जगाती।
हम बच्चों की पसंद का
सबसे पहले ध्यान हैं रखती
मनपसंद हलवा पूरी हमें खिलाती
अच्छा करने पर
पीठ हमारी थपथपाने
ममता की छाया देकर
प्यार बहुत बरसाती
मेरी दादी प्यारी सी
मन में मीठे भाव जगाती।
