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krishan kumar sati

Children Stories Inspirational

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krishan kumar sati

Children Stories Inspirational

सुबह और सायं

सुबह और सायं

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जीवन सा दिख दिखता है, प्रातः का सूर्य ।

प्रफुल्लित , हसीं ठिठोली और गुस्सा करता हुआ प्रातः का सूर्य ।।

कई रंग समाए हैं कई रंग दिखाए हैं,

मगर अपने ही रंग में रंगा है प्रातः का सूर्य ।


तेरी धूप में गर्माहट है, मगर उस गर्माहट में स्नेह को लिए हुए है प्रातः का सूर्य ।


माता सा स्नेह, पिता सी चिंता

अपने साथ लिए हुए है प्रातः का सूर्य।


प्रातः होता बचपन सा,दिन में होता यौवन सा

शाम को वृद्ध हो जाता है प्रातः का सूर्य।


अपनी हर किरण में ऊर्जा, रोशनी अपनत्व स्नेह और गुनगुनाहट देता प्रातः का सूर्य ।


अपने ही पथ पर सही रूप में,

अविरल चलना, समय पर आना-जाना सिखाता है प्रातः का सूर्य


सर्दी में गुनगुनी धूप,गर्मी में चटक धूप और वर्षा में छुपे रहना,।

मां की ममता सा वात्सल्य सिखाता है प्रातः का सूर्य।


हे सूर्य तुम अपनी पोटली में कई रंग,कई रूप ,वात्सल्य और पाबंदियां भी समेटे हुए हो।

सुबह से शाम तक अपने साथ वर्षा, हवा आंधी तूफान आदि को लपेटे हुए हो ।

 

तुम और तुम्हारे अनुशासन को शत शत नमन करता हूं ही प्रातः के सूर्य।

जीवन सा दिखता है प्रातः का सूर्य।


                



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