हमर पहाड़
हमर पहाड़
सब्बू भल छो,हमर पहाड़ ।
तुमके ले आड,हमुकले आड ।।
सब्बू भल छो,हमर पहाड़ ।।
ठंड पाणी,ठंडी हवा, सिद साद लोग।
काम करते करते, करने रहनी योग ।।
कोयलकि कू कू छो,शेरकि छो दहाड़।
सब्बू भल छ हमर पहाड़।।।।
स्वादिल फल छे, रशील छो पाणी ।
टैड, मैड रास्त छे, हनरो आणिजानी।।
सब्बू भल छो हमर पहाड़।।।
डर भों ,ठुल्लू देवे आज ले छो ।
प्रेम,स्नेह सब्बू दें आज ले छो।।
मिल जूली बे कामकाज हनी,
एक दोहरक सहार ,छो पहाड़ ।।
सब्बू भल छो हमर पहाड़।।।
रीति रिवाज, मर्यादा सब साथ छे ।।
साज बाज,आज ले पहड़क हाथ छे।।
ये लिजिक रौनक में छा पहाड़ ।।
सब्बू भल छो हमर पहाड़।।।
चीड़,बांज,देवदार,शीशम,कनार
और पदम आज ले येति का शान छो।
साफ पाणी, शुद्ध हवा, हरि भरी जंगल,
आज ले येतिक जान छो।।
सब्बू भल छो हमर पहाड़।।।
हर घर रोजगार मिल जाओ तो,
और ले है जी अमन ।।
आफु सब्बू के,*कृष्ण कुमार सती*
तरफ बे सादर सादर नमन ।।
सब्बू भल छो हमर पहाड़ ।।
सब्बू भल छो हमर पहाड़ ।।।।
