शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
तुम्हें नमन जो,
लौट के घर ना आए ।।
गोली खाई छाती पर,
भारत मां का मान बढ़ाया
वीर शहीद कहलाए।।
आती थी जब होली, दिवाली
वो घर आते जाते थे ।
दिवाली अब अंधियारी है,
क्योंकि वे ना आए ।।
तुम्हें नमन जो ,
लौट के घर ना आए।।
दीवाली का दीप बुझा,
औरसुनी हो गई होली,
कहां है पापा रोते-रोते,
मां से बिटिया बोली।
सिसकारी में मां ने बोला
पापा अब ना आए ।।
तुम्हें नमन जो
लौट के घर ना आये।।
बच्चे तरसे, पत्नी रोई
मां बाप ने पल पल याद किया।
भेज दो उनको पास हमारे,
सब ने यह फरियाद किया ।
विरह का कैसा तीर लगा यह
मन छलनी हो जाए ।।
तुम्हें नमन जो
लौट के घर ना आए।
खेल खिलौने कैसे खेलें,
पापा कहने को तरसे,
जिनको पिछले बरस पापा ने,
बहुत ही खेल खिलाए ।।
तुम्हें नमन जो
लौट के घर ना आए ।।
दुखी हुआ हर जर्रा जर्रा,
हर कोई पल पल रोया था ।
भारत मां ने भी तो अपना,
प्यारा वीर सपूत खोया था ।।
अपना जीवन अर्पण करके,
तुम बलिदानी वीर कहलाए ।।
तुम्हें नमन जो
लौट के घर ना आए ।।
हम सबको जीवन देकर,
खुद को न्योछावर कर गये ।
तुम्हें शत शत प्रणाम, हम सबका ।
तुम वीर शहीद कहलाए।।।
तुम्हें नमन जो, लौट के घर ना आए।।
भारत मां का मान बढ़ाया,
वीर शहीद कहलाए।।