बचपन
बचपन
उम्र हुआ अब मेरा पचपन
याद आया तब मेरा बचपन
कितने सुनहरे थे वो हर दिन
सोचके झूमे मेरा तन मन !
ना है कोई ज़िम्मेदारी
माकी लोरी छोटे मोठे चोरी
बचपन के दिन कितने है प्यारी
याद रहे ये जीवन सारी !
सुन्दर मन और भोला पन
कोमल तन और पागल पन
अच्छाई का सच्चा दर्पण
थोड़े दिन का प्यारा बचपन !
छोटी बातों पे रोना धोना
खेल कूद में चोट लगाना
घर का खाना आराम से सोना
यह है मौसम बड़ा सुहाना !