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SRINIVAS GUDIMELLA

Drama

3  

SRINIVAS GUDIMELLA

Drama

बचपन

बचपन

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उम्र हुआ अब मेरा पचपन

याद आया तब मेरा बचपन

कितने सुनहरे थे वो हर दिन

सोचके झूमे मेरा तन मन !


ना है कोई ज़िम्मेदारी

माकी लोरी छोटे मोठे चोरी

बचपन के दिन कितने है प्यारी

याद रहे ये जीवन सारी !


सुन्दर मन और भोला पन

कोमल तन और पागल पन

अच्छाई का सच्चा दर्पण

थोड़े दिन का प्यारा बचपन !


छोटी बातों पे रोना धोना

खेल कूद में चोट लगाना

घर का खाना आराम से सोना

यह है मौसम बड़ा सुहाना !


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