बचपन के दिन
बचपन के दिन
सखी,बचपन के दिन बडे़ याद आते हैं।
वो पल याद कर लब स्वत: मुस्कुराते हैं।
तितलियों के पीछे भागते हुए हम दोनों।
गली में बेझिझक नाचते हुए हम दोनों।
बगीचे से अमरूद तोड़ते हुए हम दोनों।
सावन के झूले झूलते हुए हम दोनों।
सर्दियों की धूप सेकते हुए हम दोनों।
पोखर में पत्थर फेंकते हुए हम दोनों।
तेज़ बारिश में भीगते हुए हम दोनों।
कंचे,छुपनछुपाई खेलते हुए हम दोनों।
चल उन लम्हों को फिर से जी आते हैं।
कुछ पल के लिए, फिर बच्चे बन जाते हैं।