चल उन लम्हों को फिर से जी आते हैं। कुछ पल के लिए, फिर बच्चे बन जाते हैं। चल उन लम्हों को फिर से जी आते हैं। कुछ पल के लिए, फिर बच्चे बन जाते हैं।
क्या खूब दिन थे मेरे यारों के साथ कभी छुपते थे अंधेरों के पार आहट से जान जाता था वह बचपन का य... क्या खूब दिन थे मेरे यारों के साथ कभी छुपते थे अंधेरों के पार आहट से जान ...
पढ़ने के लिए वह सबसे उत्तम जगह थी। हमारे घर के बगीचे में लगे हुए चार अमरूद के पेड़। पढ़ने के लिए वह सबसे उत्तम जगह थी। हमारे घर के बगीचे में लगे हुए चार अमरूद ...