STORYMIRROR

Vimla Jain

Children Stories

3  

Vimla Jain

Children Stories

अमरूद का पेड़

अमरूद का पेड़

2 mins
210

जुड़ी हैं अमरूद के पेड़ से हमारी बचपन और जिंदगी की बहुत सुनहरी मधुर यादें ।

समय था सुहाना सुहाना बचपन का समय था।

ना कोई चिंता थी

ना कोई फ़िक्र थी।

पढ़ने के लिए वह सबसे उत्तम जगह थी।

हमारे घर के बगीचे में लगे हुए चार अमरूद के पेड़।

उसमें से दूसरे नंबर का इलाहाबादी अमरूद का पेड़।

जिसकी तीन डाली में बीच के जंक्शन में बैठने की सीट बनी हो जैसे।

हमारे लिए तो पढ़ने और छिपने के लिए ही बनी हो वो सीट जैसे।

बहुत समय हमने वहां बिताया है पढ़कर और खेल कर उस अमरुद के सानिध्य में।

सभी पेड़ों के बहुत मीठे फल खाए हैं हमने अमरूद के सानिध्य में।

आज भी याद आता है वह पेड़ तो आंखों के सामने वह मंजर चला आता है ।

और मन खुशी से झूम उठता है।

बचपन की यादों में मन झूम उठता है।

बड़े हुए ससुराल गए वहां भी तो जोरदार अमरूद के पेड़ थे।

जिनके फल बहुत मीठा थे।

हमारी सासु मां मेरे लिए खास।

सीढ़ी पर चढ़ अमरूद तोड़ कर लाती थी ।

और भी मुझे बड़े प्यार से खिलाती खिलाती थी।

समय था सुहाना सुहाना ।

अमरूद के पेड़ के साथ बिताया हुआ वह जमाना।

आज भी बहुत याद आता है।

अब ना वे पेड़ रहे ।

ना सासु मां रहे।

मगर उनके प्यार से खिलाए अमरूद बहुत याद आते हैं।

क्या मीठे स्वादिष्ट होते थे स्वाद अभी तक आता है।

वैसे अमरुद कहीं ना खाए जब भी खाते हैं।

तो मन में तुलना हो ही जाती है, कि यह अमरुद हमारे घर के पेड़ जैसा तो नहीं है।

उतना मीठा नहीं है क्यों ,क्योंकि इसमें वह प्यार नहीं छिपा है।


Rate this content
Log in