STORYMIRROR

Dr Payal Sharma

Romance

4  

Dr Payal Sharma

Romance

बचपन और प्यार

बचपन और प्यार

1 min
279

बचपन का प्यार भी कितना

अजीब होता है साहब

 बिना छल कपट के कितना

मासूम होता है वह प्यार साहब


 नर्सरी क्लास की टीचर के मुस्कुराने पर प्यार आना

 साथ में बैठे हुए दोस्त का खाना खिलाना

 कॉपी में काम रह जाए तो किसी

दोस्त का साथ में काम कर देना


इनसे ही प्यार हो जाता है साहब

बचपन का प्यार भी कितना

अजीब होता है साहब

बर्थडे पर एक टॉफी मेरा दोस्त मुझे ज्यादा देगा

मेरे बिना वह खाना नहीं खाएगा


स्कूल जरूर जाना है क्योंकि

 मेरे बिना वह पूरे दिन उदास हो जाएगा

इतना निश्चल प्रेम बस

बचपन में ही हो सकता है साहब


बचपन का प्यार भी कितना

 अजीब होता है साहब

दोस्त मेरे लड़की है या लड़का

 इस से कोई मतलब नहीं है मुझे

 वह तो बस मेरे यार है


ऐसा लगता है उनके

बिना जिंदगी बेकार है

 बचपन का भी प्यार

कितना अजीब होता है साहब

याद आता है वह बचपन और वह प्यार


 जिनके बिना जिंदगी जीना दुश्वार

आज वह दोस्त ढूंढने से भी नहीं मिल पाते हैं

 और यारों बस क्या करें

भूले ना वो दोस्त बुलाए जाते हैं

इसीलिए तो बचपन का प्यार भी

कितना अजीब होता है साहब


बिना छल कपट के कितना

मासूम होता है साहब।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance