संस्कारों की लड़ाई
संस्कारों की लड़ाई
इतना आश्चर्य क्यों भाई है भाई,
क्या बात है जो समझ नहीं आई,
इतना आश्चर्य क्यों है भाई।
पैदा हुआ बच्चा,
तो पहले पहल दी मां को गाली,
तब बाप को बात क्यों नहीं समझ आई,
सीखी है उसने अपने बाप से ही गाली,
जब जब उसने उसकी मां को भद्दी गालियां हैं सुनाइए
इतना आश्चर्य क्यों है भाई।
बढ़ा हुआ स्कूल गया,
तो पहले पहल पेंसिल है चुराई,
सीखा है वह अपनी ही मां से,
जब उसकी मां ने दादी से खाने की चीजें हैं छुपाई,
इतना आश्चर्य क्यों है भाई।
बड़ा हुआ लड़की पसंद कर,
उसके संग अलग है गृहस्थी बसाई,
सीखा है उसने अपने ही मां-बाप से,
जब दादी बाबा को वृद्ध आश्रम छोड़कर मौज उड़ाई,
इतना आश्चर्य क्यों है भाई।
छोटी सी है बात संस्कारों की,
है यह लड़ाई जो उसने बचपन में अनुभवों से पाई,
वही संस्कार बनकर उसके सामने आई,
इतना आश्चर्य क्यों है भाई।
