सच्चा रुद्राभिषेक
सच्चा रुद्राभिषेक
आज फिर शिवरात्रि है आई,
त्योहारों की तैयारी।
रौनक चारों तरफ लौट आई,
सुबह-सुबह मां ने मुझे उठाया।
और बोला चलो नहा धोकर हो जाओ तैयार,
क्योंकि रुद्राभिषेक कि आज बारी है आई।
मेरी और मा दोनों में एक पुरानी बहस फिर रंग लाई,
मैंने कहा नहीं करूंगी रुद्राभिषेक।
यह बात मुझे आपकी कभी भी समझ नहीं आई,
क्यों हम दूध को, शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
यह बात मुझे कभी भी समझ नहीं आई,
मंदिर के भीख मांगते वह बच्चे।
भूखी नजरों से जब वह हमें निहारते हैं,
तो मुझे याद आता है।
मेरी ही तरह यह भी तो उस, भोले के ही बच्चे हैं,
नहीं किया जब उसने कोई भेदभाव।
तो हम क्यों करें उसके पैदा किए हुए बच्चों में यह भेदभाव,
रुद्राभिषेक का दूध उन बच्चों को मैं पिलाऊंगी।
लायक बनाया उसने मुझे, देने के,
धन्यवाद बार-बार उसको मंदिर में जाकर कर आऊंगी।
