मेरी माँ
मेरी माँ
मां की क्या तारीफ करूं
शब्द नहीं है मेरे पास
जब मैं होती दुखी तो
तू रहती हूं मेरे पास
खाना तूने खाया या नहीं
पूछती रहती हर एक बात
मुझसे ज्यादा तू मेरी चिंता करती
बेशक मैं झुंझलाऊँ
तेरी हर एक बात पर
पर तुम मुझसे प्यार करने से
कभी ना पीछे हटती
मेरी छोटी छोटी जरूरत का
तुम ध्यान रखती
उम्र में बेशक से हो गई हूं बड़ी
पर आज भी हो छोटी बच्ची यह कहकर
तेज ठहाका मारकर आज भी हंस पड़ती
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कितने ही दिनों बाद में तुमसे मिलु
पर क्या खाएगी तू यह बात कहना
कभी ना भूलती
समय चाहे पहले ही बता दूं
पर कब आएगी कब आएगी
कहकर दरवाजे पर हमेशा
टकटकी बांधकर खड़ी रहती
दुखी होकर यदि कोई बात बताऊं
तो बस यही कहती
मैं हूं तेरे साथ तू क्यो चिंता करती
मातृ दिवस पर ईश्वर से यही कामना मै करती
लंबी उम्र अच्छा, स्वास्थ्य
आपकी दुआएं मुझे हमेशा यूं ही मिलती रहेगी
अपनी मां की क्या तारीफ करूं
शब्द नहीं है मेरे पास।