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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance

4.9  

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance

बचेगा शून्य तुम्हारे बाद

बचेगा शून्य तुम्हारे बाद

1 min
484


नदी के दोनों तट हैं मौन,

सुना पर कानों ने सम्वाद ।

खुले जब बंद प्रणय के पृष्ठ,

जगी तब महकी महकी याद ।।


ह्रदय के टुकड़े हुए अनेक

मिले अपनों से जब आघात ।

हुई जिस समय भोर से दूर 

बिलख कर रोई थी तब रात ।

चैन से सोते कैसे प्रश्न

तड़प कर जाग उठी फ़रियाद....

नदी के दोनों.......।।


तुम्हें यदि जाना ही था दूर

हुए क्यों अंतर्मन के पास ।

खिलाए क्यों निष्ठा के फूल, 

भुगतना था जब यों मधुमास ।

छलक आता आँखों में नीर

सिसकता फिर अन्तस का नाद ....

नदी के दोनों.......।।


लिखा विधि ने ये कैसा भाग्य

बताते नहीं, हुए क्यों रुष्ट ?

नहीं यदि मेरा प्रेम पुनीत

भला फिर किसका पावन पुष्ट?

अभी तक चिन्तन में हूँ लीन,

करूँ किससे, कैसे प्रतिवाद....

नदी के दोनों........।।


सुना था खोना भी है रीति..

न आया कुछ भी मेरे हाथ ।

किंतु आशा है अब भी शेष..

मिलेगा पुनः तुम्हारा साथ ।

नहीं था कुछ भी तुमसे पूर्व,

बचेगा शून्य तुम्हारे बाद ।

नदी के दोनों...........।।



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