बात ना होकर भी बात हो रही है
बात ना होकर भी बात हो रही है
बात ना होकर भी बात हो रही है
आज कल ख़्वाबों में मुलाकात हो रही है
रोशनी की भी हिफाज़त है इबादत की तरह
बुझते सूरज से चराग़ों को जलाया जाए
तुम पूछती हो ना .....
मेरी कौन हो तुम
तो सुनो .....
एहसास हो तुम उस प्रेम का
जो उपजता है पहली बार
नाजुक से हृदय में
स्पर्श हो तुम .....
उस स्नेह का
जो महसूस होता है
किसी अपने के कंधे पर
सिर रखने से.

