बात कुछ यूँ थी
बात कुछ यूँ थी
" बात कुछ यूँ थी के
बात कुछ यूँ थी के
उसने बताया ही नहीं
बात कुछ यूँ थी के
उसने बताया ही नहीं
साथ चलने के किये वादे बहुत
साथ चलने के किये वादे बहुत
साथ चलने के लिए
हाथ बढ़ाया ही नहीं
बात कुछ यूँ थी के
उसने बताया ही नहीं ...
उसको भी होश कहाँ तल्ख़ हक़ीक़त का अभी
उसको भी होश कहाँ तल्ख़ हक़ीक़त का अभी ...
ख़्वाब से उसको अभी
मैंने जगाया ही नहीं ....
बात कुछ यूँ थी के ..
उसने बताया ही नहीं ...
रब्त अब ख़ुद के सिवा और करें भी किस से
रब्त अब ख़ुद के सिवा और करें भी किस से
उसने आगे का सबक़
मुझको सिखाया ही नहीं
बात कुछ यूँ थी के .........
यूँ तमन्ना को भी बहलाते हैं अक्सर नाज़िम
यूँ तमन्ना को भी बहलाते हैं अक्सर नाज़िम
उसने कोई रम्ज़ ए ख़लिश
कह के जताया भी नहीं
बात कुछ यूँ थी के ..
उसने बताया ही नहीं ...."