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Kunda Shamkuwar

Abstract Fantasy Others

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Kunda Shamkuwar

Abstract Fantasy Others

बात की बात .....

बात की बात .....

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तेरी बात....मेरी बात....
बात बात पर बढ़ती बात.....

वह इतनी सी बात क्या कोई बात भी होती है?
क्या वाकई वह बस इतनी सी ही बात होती है?

नहीं! बिल्कुल नहीं!!

इसलिये की कभी वह बहुत बड़ी बात जो कह देती है !

बड़ी बात के क्या कहने ! वह तो वाकई बड़ी ही होती है.....

इतनी की उसे ख़ुद भी अंदाजा नहीं होता है....

बात कभी यूँ ही नहीं होती है...
बात होती है तभी कोई बात बनती है......

कुछ बात इत्र की तरह होती है....
अपने इर्द गिर्द सबको महका देती है....

कुछ बात आग की तरह होती है....
सब कुछ राख करती जाती है.....

बात के बीच की चुप्पी भी कभी बड़ी बात कह जाती है...
बात के बीच की चुप्पी भी कभी गहरी होती है....

जो दिल में कहीं गहरी ना उतरे वह भी कोई बात होती है क्या?







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