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Ravi Jha

Romance

5.0  

Ravi Jha

Romance

बारिश में मिलन

बारिश में मिलन

1 min
335


बरसात में जो थी तुम आयी

भींगे होंठो से जो तुम मुस्कायी,

चाँदनी का नूर था जो बरसा

वक्त थम सा गया था सहसा।

तेरे अलकों का यूँ ही खुलना 

तेरे पलकों का पलकों से मिलना।

तेरे हाथों का हाथों से मलना 

फिर गुलाबी महक का घुलना।

दूर ही दूर से तुझे देखता है

मन ही मन तुझसे कहता है।

पास आने से वो तो डरता है 

पर ये दिल तुझ पर ही मरता है।


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