बारिश में मिलन
बारिश में मिलन
बरसात में जो थी तुम आयी
भींगे होंठो से जो तुम मुस्कायी,
चाँदनी का नूर था जो बरसा
वक्त थम सा गया था सहसा।
तेरे अलकों का यूँ ही खुलना
तेरे पलकों का पलकों से मिलना।
तेरे हाथों का हाथों से मलना
फिर गुलाबी महक का घुलना।
दूर ही दूर से तुझे देखता है
मन ही मन तुझसे कहता है।
पास आने से वो तो डरता है
पर ये दिल तुझ पर ही मरता है।