बारिश की बूंदें !

बारिश की बूंदें !

1 min
376


मन में कितनी उमंगें जगाती है

ये बारिश कितना कुछ कहती है


अनगिनत सुनहरे ख़्वाब सजाती है

जब भी मैं इसकी बूंदों में नहाती हूँ


कितना कुछ ये मुझमें बोती रहती है

मुझे स्त्री होने का एहसास कराती है


रोज कितना कुछ नया सिखाती है

मुझे नाज़ उठाना सिखाती रहती है


मेरे रोम-रोम को झंकृत करती है

संगीत और साज़ बजाती रहती है


अपनी बूंदों की मनमानियों से

मेरे रोम रोम में आग लगाती रहती है


मेरे लबों पर ये दुआ पिया की सजाती है

प्रेम प्रीत की ये जोत जगाती रहती है


मन में कितनी उमंगें जगाती है

ये बारिश कितना कुछ कहती है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance