बाल मन
बाल मन
बाल मन होता बडा ही चंचल
पल में हंस दे पल में रो दे
पल में हो जाता है विव्हल
कभी छोटी सी बात पर
कर देता आफत खड़ी
कभी अपनी जिद से
ला देता मुसीबत बड़ी
कभी बन जाता है बड़ा
और फिर अगले ही पल
माँ का थाम लेता आँचल
जाने कैसी कैसी जिद करता है
न जाने किस किससे डरता है
कोई न समझा इसके विज्ञान को
इनके बाल ममनोविज्ञान को।