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शशि कांत श्रीवास्तव

Tragedy

3  

शशि कांत श्रीवास्तव

Tragedy

बाजार

बाजार

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480

क्या ,खूब सजा है 

बाजार -आज यहाँ 

जहाँ बिकते हैं 

सब कुछ आज ,

बोली भी लगी 

रिश्ते भी बिके 

इस

बाजार में 

बिकी वो जो होती थी 

अनमोल कभी 

मित्रता, दोस्ती 


पर,

अफ़सोस कि बिखर गई 

वो भी आज, बाजार में 

बे आवाज़ ,

वहीं हुआ 

एक हादसा 

बिका वो भी 

प्रेम का अनमोल गहना 

दिल,

बाजार में 

कौड़ियों के भाव 

होकर लहुलुहान ...



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