बाजार
बाजार
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क्या ,खूब सजा है
बाजार -आज यहाँ
जहाँ बिकते हैं
सब कुछ आज ,
बोली भी लगी
रिश्ते भी बिके
इस
बाजार में
बिकी वो जो होती थी
अनमोल कभी
मित्रता, दोस्ती
पर,
अफ़सोस कि बिखर गई
वो भी आज, बाजार में
बे आवाज़ ,
वहीं हुआ
एक हादसा
बिका वो भी
प्रेम का अनमोल गहना
दिल,
बाजार में
कौड़ियों के भाव
होकर लहुलुहान ...