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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Drama

4  

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Drama

बादल

बादल

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कभी जो थे मासूम से सूने-सूने बादल

अब दिखा रहे तरह-तरह के रंग बादल


झमा-झम-झम झड़ी लगा रहे

तड़ा-तड़-तड़ बिजली चमका रहे


कभी छोटीं तो कभी बड़ीं-बड़ीं बूंदें

सुन गड़-गड़ की ध्वनि बच्चे आँखें मूंदें


जब जोर-शोर से बरसे पानी

छतरी खोल बाहर निकले नानी


सर-सर-सररर हवा चले पुरवाई

टीनू-मीनू ने कागज की नाव चलाई


बागों में नन्हीं-नन्हीं कलियां मुस्काई

मेंढ़क दादा ने टर्र-टर्र की टेर लगाई


कीट-पतंगों के जीवन में बहार आयी

खेतों में चहुंदिशि हरियाली छायी


कीचड़ की लपटा-लपटी से बेहाल

मामाजी की बदल गई है देखो चाल


वर्षा रानी आती हैं, थोड़ी-बहुत समस्या लाती है

पर धरती के जीवन में नव प्राण भर जाती है।


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