बादल
बादल
कभी जो थे मासूम से सूने-सूने बादल
अब दिखा रहे तरह-तरह के रंग बादल
झमा-झम-झम झड़ी लगा रहे
तड़ा-तड़-तड़ बिजली चमका रहे
कभी छोटीं तो कभी बड़ीं-बड़ीं बूंदें
सुन गड़-गड़ की ध्वनि बच्चे आँखें मूंदें
जब जोर-शोर से बरसे पानी
छतरी खोल बाहर निकले नानी
सर-सर-सररर हवा चले पुरवाई
टीनू-मीनू ने कागज की नाव चलाई
बागों में नन्हीं-नन्हीं कलियां मुस्काई
मेंढ़क दादा ने टर्र-टर्र की टेर लगाई
कीट-पतंगों के जीवन में बहार आयी
खेतों में चहुंदिशि हरियाली छायी
कीचड़ की लपटा-लपटी से बेहाल
मामाजी की बदल गई है देखो चाल
वर्षा रानी आती हैं, थोड़ी-बहुत समस्या लाती है
पर धरती के जीवन में नव प्राण भर जाती है।