STORYMIRROR

Annapurna Mishra

Drama Tragedy

2.3  

Annapurna Mishra

Drama Tragedy

बाढ़

बाढ़

1 min
1.6K


जिस जल ने दिया था जन्म उसको,

उस जल ने ही ले ली जान उसकी,

कितना कठिन होता है लेना मौत की सिसकी,

पर सरल तो ये भी नहीं कि छोड़ दें,

सबकुछ उस परम्बा शक्ति पर,

जो है रक्षक इस जीवन की !


तुम्हे खुद ही है बनना चालक इस शरीर रूपी विमान की,

तो भरो साहस इक नई और ऊँची उड़ान की,

और तुम खुद ही जीतो बाजी अपने सम्मान की,

समझो कि कोई नहीं काट सकता तुमको ऐसे ही,

है नहीं किसी को हक बहा दे तुम्हारे एहसान को भी !


अब मैं समझी क्यूँ ली जल ने जान उसकी,

वह करने लगा था तुलना तुच्छ इंसानों से ही,

थी नहीं उसे पहचान पृथ्वी सी ममता की,

जो दर्द सहकर भी रख सकता अपने कोख में ही !


क्यूँ इतने विध्वंसक बन गए तुम उसके जीवन में,

थी अलग ही धारणा तुम्हारी सबके मन में,

बरस कर ही कर देते हरियाली तुम उनके वन में,

थे अनमोल ओ जल तुम उनके जीवन में !


हाय! कैसा था वो हाहाकार,

मैं तो समझी तुम इस पृथ्वी के हो आधा श्रृंगार,

ठहरो अपनी शीतलता में और करो विचार,

क्यूँ ली है तुमने यह विध्वंसक अवतार !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama