माँ तू माँ है
माँ तू माँ है
माँ तू जननी है,
तूने मुझे,
कोख में,
पाला,
नौ माह तक,
जन्म दी,
इस वसुंधरा का,
दर्शन कराई,
जननी हो न,
खुद दुख सहकर,
सुख का भोग कराई,
हाँ माँ,
नदियों के नीर की,
निर्मलता की धार हो,
शीतल चन्दन हो तुम,
तू ही तो हो,
मुझे चलना सिखाई
मेरे हर पगो का सहारा बनी,
मुझे बातें करना सिखाई,
हाँ माँ,
मुझे सिखाई बातें करना,
मैं आपके बाग का,
फुलवारी हुँ,
हाँ माँ,
आप खुद भूखी रहती,
खिलाती मुझे,
भर पेट भोजन,
न अघाउँ तब तक,
मेरे तुतली जुबा रोना,
संगीत है आपका,
खुद रहती बीमार,
पिलाती दवा मुझे,
आप तो ममता की,
अथाह समुद्र हो,
हाँ माँ,
मुझे सूखे में,
सुलाती,
खुद गीले में सोती,
रात-रात भर,
केवल और केवल खुद,
जगती,
मेरे लिए,
और सुलाती मु
झे,
हाँ माँ !
मेरे हर दर्द का अहसास,
खुद ब खुद करती,
हाँ माँ !
ममता की करती बौछर,
और पूरी करती मेरी आस,
आप तो विशाल बरगद हो,
जिसमें ममता की,
छाया फलती फूलती है,
तेरे डाँट फटकार में,
छिपी होती है प्यार,
ममता की आँचल में,
आश्रय दी मुझे,
हाँ माँ !
मेरे बचपन से,
यौवन तक का सफर,
हर उस कष्ट में,
हाँ,
मुझे सहारा दी,
मेरे हर बातों को,
पहुँचती बाबुल तक,
करती मेरे,
ख्वाहिश को पूरा,
बचाती बाबुल के,
डाँट से,
ओ मेरी अच्छी माँ,
प्यारी माँ,
आप तो,
ममता की सिंधु हो,
मुझे काबिल,
इंसान बनाने में,
आपके हरेक,
पसीने के बून्द है,
ममतामयी,
ओ प्यारी माँ,
हाँ,
हाथ है आपका,
कहता है,
इसलिए भीम,
माँ तो माँ होती है,
ओ प्यारी माँ,
ओ मेरी भोली माँ।