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Yogesh kumar Dhruw

Abstract

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Yogesh kumar Dhruw

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तोत्ते चान

तोत्ते चान

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एक लड़की 

निश्च्छल मन

चंचल मन 

खेलना


फुदकना चाहती

आशाएं लिये

भावनाए सँजोए 

मन में

आसमान सी  

पर्वत सी


नदियों की धार सी

बगियों की फूल सी

हा मैं एक लड़की

पकड़ी माँ की उंगली 

खुशी से आनंदित 


उठी झूम

जाना था स्कूल

कल्पना की क्यारियां

डेस्क की आवजे

धम-धम

बंधा सा

ठगा सा


झरोखे पर खड़ी

हा एक लड़की

करती प्रश्न

अबाबील से

क्या करोगे बाते मुझ से


हाँ करोगे बाते

हाँ एक लड़की

तोत्ते चान हूँ

बार-बार टीचर की

डांट फटकार

न करो खीझता


मन में अकुलाहट

प्रकृति सा चंचल

उमंगतास्वतंत्रता

बचपन मन को

न करो दूर

अपनत्व की भाव चाहिए


ऐसी कल्पना लिये

हाँ मिल गया 

मिल गया

इक छोटी सी आशा

खोजता मन मेरा

अपनत्व निजता की भाव

छोटी सी आशाएं


मन की उमंगता

इठलातीबलखाती

चंचलता की राह बनाती

जो समझे भाव

बरबस मेरी मन की भावना

एक ऐसा इंसान


प्रकृति की रम्यता

हर भावों को जोड़ना

बनता मदारी

करता करतब

हाँ चाहती हूँ।


ऐसी भाव

हाँ तोत्ते चान हूँ

मुझे जाना है स्कूल

जाना है

जाना है

स्कूल

हाँ मैं तोत्ते चान हूँ।


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