STORYMIRROR

Yogesh kumar Dhruw

Abstract

4  

Yogesh kumar Dhruw

Abstract

पथ के राही न भटक

पथ के राही न भटक

1 min
415

अडिग मन राह शांत हो,

निश्छल जीवन लेकर चल,

चाहे भटके मन: चंचल,

जीवन नाथ के तू चल,

पथ के राही न भटक

ऐसे पथ में तू चल

 

न डिगा अपना नियत,

ऐसे नियति बना कर चल,

मिला जीवन सौभाग्य पूर्ण यह,

दुर्भाग्य गर्त में न डाल के चल,

पथ के राही न भटक,

ऐसे पथ में तू चल


लक्ष्य ऐसा अडिग कल्पना ,

ऐसे मूरत बना के चल,

कल्पना की कामयाबी,

सकार जीवन लेकर चल,

पथ के राही न भटक,

ऐसे पथ में तू चल


अंतिम पड़ाव उस जीवन की,

ऐसा मूरत बना कर चल,

जन मानस की मन:पटल पर,

ऐसे चित्र उकेर कर चल,

पथ के राही न भटक

ऐसे पथ में तू चल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract