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संदीप सिंधवाल

Abstract

4.0  

संदीप सिंधवाल

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अयोध्या में नव अध्याय

अयोध्या में नव अध्याय

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राम लल्ला के स्वागत को, सजा अयोध्या नगर।

कई रावण आज मरे, जो न चले सत्य डगर।।


धर्मयुद्ध हुआ बहुत दीर्घ, कलयुग के दरम्यान।

सार्थक सत्य की जीत से, मंदिर बने महान।।


धर्म स्वाभिमान विजय है, पाखंड फिर अधीर।

राम नाम गूँज त्रिलोक, हरे दीन की पीर।।


घर में बने बैरी को, नाच नचाएं आज।।

क्या जल रही है किसकी, मीठी बजी साज।।


अयोध्या की वैभवता, लौटता त्रेता युग।

रामायण देखता मन, ऐसा रहा वो जुग।।


कलयुग मंदिर के राम, कलयुग का इंसान।

त्रेता सा बनाएं हमें, बदलें करम विधान।।


आज हुई है नव भोर , करो नहीं आराम।

भूमि पूजन महूर्त में, बोलो जय श्रीराम।।



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