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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

अवसाद में रहते।

अवसाद में रहते।

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कभी बहुत प्रसन्न रहते जी हम,

कभी अवसाद में रहते जी हम। 

मीठी यादें तो प्रसन्न होते बहुत, 

कड़वी तो अवसाद में होते हम। 


जीवन में कभी तो आँसू होते हैं, 

जीवन में कभी अवसाद होते हैं। 

जीवन में कभी तो ख़ुश भी होते, 

ये सब कर्मों का फल भुगतते हैं।


जब भी उनके साथ होते हैं तब, 

सचमुच में बहुत ख़ुश होते तब। 

जब-जब दूर उनसे होते तो भी, 

अवसाद में ही हो जाते हम भी।


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