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Pankaj Sharma

Abstract

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Pankaj Sharma

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वसुधैव कुटुम्बकम से पूरा विश्व एक हुआ

वसुधैव कुटुम्बकम से पूरा विश्व एक हुआ

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जब ईश्वर ने बनाया इन्सान रे

नर नारी से बना परिवार रे

पहले इन्सान बनाया उसमे प्यार जगाया

पुरी दुनिया को बंधन मे बांध दिया

वसुधैव कुटुम्बकम से पूरा विश्व एक हुआ


धर्म जाती ने बॉटा इन्सान को

लोभ लालच ने भटकाया इन्सान को

पहले भेदभाव मिटाया इन्सानियत जगाया

पुरी दुनिया को एक जुट कर दिया

वसुधैव कुटुम्बकम से पूरा विश्व एक हुआ


भाषा संस्कृति अनेक था संसार मे

पूरा दुनिया फंसा था रंग रूप के जाल मे

पहले विश्वास जगाया फिर समानता लाया

अनेकता को एकता मे बदल दिया

वसुधैव कुटुम्बकम से पूरा विश्व एक हुआ


श्रृष्टि मे तन्हाई का हुआ जब एहसास

नाता जोङ कर बन गये रिश्तेदार

पहले हाथ बढ़ाया फिर गले लगाया

अटूट रिश्ता मे सब बंध गये

वसुधैव कुटुम्बकम से पूरा विश्व एक हुआ।


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