वो गाँव कहाँ है
वो गाँव कहाँ है
ख्वाब में बिखरी हुई
आँखों में सिमटी
हर दिल को सुकून दे जाए
वो सुखद छाँव कहाँ है।
मेरे वीर बलिदानी का
सपनों का वो गाँव कहाँ है।
खून से जब सींचा चमन
तब उभरा प्यारा-सा वतन
जिसे देख हर्षाते उनका मन
आज कागज के लपेटे में
लगता है जन दर्शन
जन सैलाब को पार कर जाए
मंजिल का वो नांव कहाँ है
मेरे वीर बलिदानी का
सपनों का वो गाँव कहाँ है I