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रोहिणी नन्दन मिश्र

Abstract

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रोहिणी नन्दन मिश्र

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जिन्दगी

जिन्दगी

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किस्म-किस्म

तरह-तरह के

रंग रूप ढंग है।

कभी धुली सी चाँदनी

कभी

बड़ी बदरंग है।

 

कभी बड़ी

कभी छोटी

कभी दुर्हृद, मीत है।

लुटा रही

निधि, कभी

तो एकदम ही रीत है।

 

कभी प्रसून-सेज

पर

सिमट रही, बहक रही।

कभी

क्रूर दैव पर

सिसक रही,दहक रही।

 

सुखद

नरम एहसास की

मधुर-मधुर मिठास है।

कभी

वही जनमजली

कभी अतीव खास है।

 

हजार

उलझनों की

अबूझ सी किताब है।

कभी

सभी सवाल का

खुद आप ही जवाब है।

 

विचर

रही अनंत में

कभी अनंत कल्पना।

कभी

अमूल प्राप्तियों की

सप्तरंगी अल्पना।

 

रह-रह

खरकती

यदि हृदय का शूल है।

तो..

उम्र भर

महकती जो

जिंदगी, वह फूल है।

 

उम्र भर

कचोटती

यदि हृदय की टीस है।

तो

ईश ने

जो दी हमें

वह जिंदगी बख्शीश है।


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