जिंदगी
जिंदगी
आह! सी इक थकी शाम है जिंदगी
अंततः एक विश्राम है जिंदगी
जीके देखा जो हमने तो ऐसा लगा
दर्द का दूसरा नाम है जिंदगी।
सांस की पालकी में दुल्हन सी सजी
मौत का एक पैगाम है जिंदगी
वक्त बेवक्त की ठोकरौ से परेशान
इक छलकता हुआ जान है जिंदगी।
अर्थ के भव्य पटल पर टंगी
श्वेत है तो कभी श्याम है जिंदगी
खोज में स्वर्ग मृग की भटकती
अतृप्त इच्छाओं का नाम है जिंदगी।
कुछ नेक और कुछ बदनाम है जिंदगी।