STORYMIRROR

bimlesh rai

Abstract

4  

bimlesh rai

Abstract

बचपन

बचपन

1 min
208

मनोहर बचपन, प्यारा बचपन,

जीवन की खुशियां, बचपन

हर रंग की सही पहचान,

बचपन, बचपन, बचपन, बचपन l 


यदि बचपन ना होता तो क्या होता ?

जीवन में कोई रंग ना होता,

सभी खुशियां दूर होती,

दुख इंसान के करीब होता 


और हम ढूंढते रह जाते

बचपन, बचपन, बचपन।

हो जाती है सभी यादें धुंधली,

केवल बचपन रहता है विद्यमान,


जब जब बचपन खो जाता है,

संसार की हर खुशियां छीन जाती है

आता है रह- रहकर याद

बचपन ,बचपन ,बचपन l


है केवल एक ही इच्छा,

बीते सभी का बचपन खुशियों से,

कोई ना वंचित रह सके,

जीवन की इस अमूल्य देन से

जो केवल है हमारा प्यारा  बचपन,

बचपन, बचपनl


రచనకు రేటింగ్ ఇవ్వండి
లాగిన్

More hindi poem from bimlesh rai

बेटी

बेटी

1 min చదవండి

जीवन

जीवन

1 min చదవండి

नारी

नारी

1 min చదవండి

सीमा

सीमा

1 min చదవండి

बचपन

बचपन

1 min చదవండి

बचपन

बचपन

1 min చదవండి

बचपन

बचपन

1 min చదవండి

Similar hindi poem from Abstract