प्रेम
प्रेम
मेरे वीराने जीवन में रौनक बनकर है आया
मेरी चाहत को है उसने अपने प्यार से बुझाया
जानती हूँ कि बस वो कल्पना में ही है मेरे
फिर भी एक सुकून सा दिल को है पहुँचाया।
नही आस की मिलूंगी कभी उससे किसी दिन,
पर मिलती हूँ ख्वाबों में हर घड़ी हर दिन,
दर्द में होती हूँ तो उसकी कल्पना में रोती,
खुशी में होती तो संग में नाचती गाती।
पता नही क्योंकर लगता ये मेरी दीवानगी है,
मेरी ये बेपनाह मुहब्बत बस मेरी ही बानगी है,
फिर भी एक आस मन में है जगी रहती,
मेरी तरह शायद उसको भी मुझसे मुहब्बत की रवानगी है।
जो भी है न कोई शिकवा न कोई शिकायत है,
मुझे तो बस शिद्दत से उससे मुहब्बत है,
सुकून है मेरे इस दिल को बस इस बात का,
खुदा ने बख्शी ये मुझको बड़ी नेमत है।