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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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असम्भव तो नहीं

असम्भव तो नहीं

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मुश्किल जरूर है

कानून के राज्य की स्थापना

लेकिन असम्भव तो नहीं है

अब देखिये

कभी ये विचार 

एक सपना था

संविधान निर्माताओं का कि

देश कानून से चलेगा

फिर आजादी के जनून में

लोग देश चलाते रहे

सपना सपना रह गया

और आज फिर यह विचार

चर्चा में है

कानून का राज स्थापित होने चाहिये

देश कानून से चलना चाहिये

जितनी मुश्किल होती है

आदतों को बदलने में

बस उतनी सी मुश्किल है

आदतें बदलनी भर तो हैं

कानून पर चलना भर तो है

बेशक ये अभी भी सपना है

और जीवंत लगता है

लेकिन फिर भी असम्भव नहीं है

कानून का राज।


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